Holi क्यों मनाई जाती हैं. 2020 में कब हैं Holi और इसका पौराणिक महत्त्व क्या है।
होली हार्स उल्लास का त्यौहार है.इसे बच्चे बुड्ढे जवान सभी बडे धूमधाम से मनाते हैं.इस दिन सभी एक दूसरे को रंग लगते हैं और मिठाइयां बांटते है,और खुशियां मनाते हैं.इस लिए इसको खुशियो का त्यौहार भी कहा जाता है. इस दिन सभी धर्मों के लोग एक दूसरे को रंग लगते हैं और गले मिलते हैं.होली मुख्यतः भारत में ही मनाई जाती है लेकिन इसके साथ साथ दुनियां में जहाँ भी हिन्दी भासी लोग या हिन्दू रहते हैं उन्हमे होली वहुत धूमधाम से मनाई जाती है.
कव और क्यों मनाई गई है होली
फागुन महीना यानी कि फरबरी और मार्च महीने में जब सर्दियों का अंत और गर्मियों की सुरुवात होती है तभी होली आती है.ये बसंत ऋतु के आगमन पर जब सब तरफ हरियाली होती है, दूर दूर तक गेहूँ और सरसों के हरे खेत मानो प्राकृतिक रंग बिखेर रहे हो, किसान अपने खेतों में में अछि पेदबार से खुश होकर इस त्यौहार को मनाते हैं.भारत भर में इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है.
2020 में होली पूजन मुहूर्त होली दहन और कब है?
इस साल होली 9 मार्च 2020 को 1:13 बजे से रात 11:18बजे तक रहेगी इस बीच होलिका दहन किया जायेगा.होलिका पूजन मुहूर्त:- प्रातः 9:35 से 11:03 बजे तक शुभ रहेगा.अगले दिन 10 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी.
होली का पौराणिक महत्व
पुराणों में होली का विषेस महत्व है.होली के पीछे वहुत सारी कहानियां बताई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा कही सुनी जाने बाली कहानी भक्त प्रह्लाद की है, भक्त प्रह्लाद हिरण्यकश्यप राजा का पुत्र था जो भगबान विष्णु का भक्त था.हिरणकश्यप बहुत ही क्रूर राजा था उसने अपने राज्य में सभी मंदिरों में अपनी पूजा करवानी सुरू कर दी थी. बह भगबान को नहीं मानता था.और जो उसकी पूजा करने से इन्कार करता बह उसे मृत्यु दंड दे देता था.
हिरण्यकश्यप को मिला था भगबान शिव का बरदान
हिरण्यकश्यप ने भगबान शिव की तपस्य कर बरदान पाया था कि ना उसे कोई दिन में मार सके ना रात में,ना उसे कोई इंसान मार सके इस ही जानबर.ना बह जमीन पर मरे ना आसमान में ना दिन में मार सके ना रात में,जिस कारण बह उदंड और निर्वहय और अत्याचारी बन गया था.जब उसे पता चला कि उसका अपना पुत्र भगबान विष्णु की पूजा करता है तो उस से ये सहन नही हुआ,उसने अपनी बहन होलिका को बुला कर भक्त प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया.
होलिका को बरदान मिला था.
होलिका हिरण्यकश्यप की बहन को बरदान था कि उसे अग्नि नही जला सकती,उसने उस बरदान का दुरुपयोग कर भक्त प्रह्लाद को ये कह कर अपनी गोद में बिठा लिया कि में तेरी बुआ हूं.और उसे ले कर अग्नि में कूद गई. लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका उसी आग में जल कर राख हो गई, तव से होली दहन किया जाता है.
हिरण्यकश्यप का अंत कैसे हुआ
होलिका को जलते देख हिरण्यकश्यप क्रोदित हो गया और भक्त प्रह्लाद से इसका कारण जानना चाहता तब भक्त प्रह्लाद ने कहा कि उनके प्राणों की रक्षा स्वयं भगवान विष्णु ने की है. जिस पर और क्रोदित हो कर हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद से पूछा कि तेरा भगवान किधर है. इस पर भक्त प्रह्लाद ने उत्तर दिया कि वह सृष्टि के कण कण में है,
इस पर हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या क्या वह इस महल के खम्बे में भी है.प्रह्लाद ने उत्तर दिया हां.उत्तर सुन कर हिरण्यकश्यप क्रोदित हो कर बोला ले मैं तेरे भगवान को आज यही समाप्त कर दूँगा.और अपनी गधा से उस खमम्बे को तोड़ दिया.खम्बे के टूटते ही उस में से भगवान विष्णु के अबतार नरसिंह प्रकट हुए,
हिरण्यकश्यप को नरसिंह ने क्या कहा
भगवान विष्णु के अबतार नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को उठा कर महल की दहलीज पर अपनी गोदी में रखा और कहा देख हिरण्यकश्यप तूने भगवान शिव से बरदान मांगा था कि तुझे कोई दिन में मार सके ना रात में तो इस समय ना दिन है ना रात साध्य का समय है
ना अंदर मार सके ना बाहर, तो तू इस समय ना अंदर है ना बाहर इस समय तू दहलीज़ पर है.
ना तू जमीन पर है और न आसमान पर बल्कि मेरी गोदी में है
ना तुझे कोई इंसान मार रहा है न जानबर, यह नरसिंह का अवतार है, जो न इंसान हैं ना जानबर,इस तरह हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका का अंत हुआ.
तभी से लेकर होली बुराई पर अच्छाई कि जीत के रुप में बनाई जाती है.
आइए इस बार 2020 की होली हम सुरक्षित तरह से बनाए जैसा कि सभी जानते हैं कोरोना का खतरा बना हुआ है. कृपया करके भीड़ में होली ना खेले बचो को रंग से दूर रखें कोरोना की अफबहे ना फैलाये, और खुशी से होली मनाए हैप्पी होली।
होली हार्स उल्लास का त्यौहार है.इसे बच्चे बुड्ढे जवान सभी बडे धूमधाम से मनाते हैं.इस दिन सभी एक दूसरे को रंग लगते हैं और मिठाइयां बांटते है,और खुशियां मनाते हैं.इस लिए इसको खुशियो का त्यौहार भी कहा जाता है. इस दिन सभी धर्मों के लोग एक दूसरे को रंग लगते हैं और गले मिलते हैं.होली मुख्यतः भारत में ही मनाई जाती है लेकिन इसके साथ साथ दुनियां में जहाँ भी हिन्दी भासी लोग या हिन्दू रहते हैं उन्हमे होली वहुत धूमधाम से मनाई जाती है.
कव और क्यों मनाई गई है होली
फागुन महीना यानी कि फरबरी और मार्च महीने में जब सर्दियों का अंत और गर्मियों की सुरुवात होती है तभी होली आती है.ये बसंत ऋतु के आगमन पर जब सब तरफ हरियाली होती है, दूर दूर तक गेहूँ और सरसों के हरे खेत मानो प्राकृतिक रंग बिखेर रहे हो, किसान अपने खेतों में में अछि पेदबार से खुश होकर इस त्यौहार को मनाते हैं.भारत भर में इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है.
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इस साल होली 9 मार्च 2020 को 1:13 बजे से रात 11:18बजे तक रहेगी इस बीच होलिका दहन किया जायेगा.होलिका पूजन मुहूर्त:- प्रातः 9:35 से 11:03 बजे तक शुभ रहेगा.अगले दिन 10 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी.
होली का पौराणिक महत्व
पुराणों में होली का विषेस महत्व है.होली के पीछे वहुत सारी कहानियां बताई जाती हैं लेकिन सबसे ज्यादा कही सुनी जाने बाली कहानी भक्त प्रह्लाद की है, भक्त प्रह्लाद हिरण्यकश्यप राजा का पुत्र था जो भगबान विष्णु का भक्त था.हिरणकश्यप बहुत ही क्रूर राजा था उसने अपने राज्य में सभी मंदिरों में अपनी पूजा करवानी सुरू कर दी थी. बह भगबान को नहीं मानता था.और जो उसकी पूजा करने से इन्कार करता बह उसे मृत्यु दंड दे देता था.
हिरण्यकश्यप को मिला था भगबान शिव का बरदान
हिरण्यकश्यप ने भगबान शिव की तपस्य कर बरदान पाया था कि ना उसे कोई दिन में मार सके ना रात में,ना उसे कोई इंसान मार सके इस ही जानबर.ना बह जमीन पर मरे ना आसमान में ना दिन में मार सके ना रात में,जिस कारण बह उदंड और निर्वहय और अत्याचारी बन गया था.जब उसे पता चला कि उसका अपना पुत्र भगबान विष्णु की पूजा करता है तो उस से ये सहन नही हुआ,उसने अपनी बहन होलिका को बुला कर भक्त प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया.
होलिका को बरदान मिला था.
होलिका हिरण्यकश्यप की बहन को बरदान था कि उसे अग्नि नही जला सकती,उसने उस बरदान का दुरुपयोग कर भक्त प्रह्लाद को ये कह कर अपनी गोद में बिठा लिया कि में तेरी बुआ हूं.और उसे ले कर अग्नि में कूद गई. लेकिन भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ और होलिका उसी आग में जल कर राख हो गई, तव से होली दहन किया जाता है.
हिरण्यकश्यप का अंत कैसे हुआ
होलिका को जलते देख हिरण्यकश्यप क्रोदित हो गया और भक्त प्रह्लाद से इसका कारण जानना चाहता तब भक्त प्रह्लाद ने कहा कि उनके प्राणों की रक्षा स्वयं भगवान विष्णु ने की है. जिस पर और क्रोदित हो कर हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद से पूछा कि तेरा भगवान किधर है. इस पर भक्त प्रह्लाद ने उत्तर दिया कि वह सृष्टि के कण कण में है,
इस पर हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या क्या वह इस महल के खम्बे में भी है.प्रह्लाद ने उत्तर दिया हां.उत्तर सुन कर हिरण्यकश्यप क्रोदित हो कर बोला ले मैं तेरे भगवान को आज यही समाप्त कर दूँगा.और अपनी गधा से उस खमम्बे को तोड़ दिया.खम्बे के टूटते ही उस में से भगवान विष्णु के अबतार नरसिंह प्रकट हुए,
हिरण्यकश्यप को नरसिंह ने क्या कहा
भगवान विष्णु के अबतार नरसिंह ने हिरण्यकश्यप को उठा कर महल की दहलीज पर अपनी गोदी में रखा और कहा देख हिरण्यकश्यप तूने भगवान शिव से बरदान मांगा था कि तुझे कोई दिन में मार सके ना रात में तो इस समय ना दिन है ना रात साध्य का समय है
ना अंदर मार सके ना बाहर, तो तू इस समय ना अंदर है ना बाहर इस समय तू दहलीज़ पर है.
ना तू जमीन पर है और न आसमान पर बल्कि मेरी गोदी में है
ना तुझे कोई इंसान मार रहा है न जानबर, यह नरसिंह का अवतार है, जो न इंसान हैं ना जानबर,इस तरह हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका का अंत हुआ.
तभी से लेकर होली बुराई पर अच्छाई कि जीत के रुप में बनाई जाती है.
आइए इस बार 2020 की होली हम सुरक्षित तरह से बनाए जैसा कि सभी जानते हैं कोरोना का खतरा बना हुआ है. कृपया करके भीड़ में होली ना खेले बचो को रंग से दूर रखें कोरोना की अफबहे ना फैलाये, और खुशी से होली मनाए हैप्पी होली।
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