दुनियां का सबसे पुराना किला,हिमाचल प्रदेश कांगड़ा में 629 ई.पू. नही देखा तो कुछ नही देखा

कांगड़ा का स्वर्णिम इतिहास, कांगड़ा का प्राचीन नाम नगरकोट था। इतिहास में सबसे पहले कांगड़ा का उलेख चिनी यात्री हून- त्सांग की भारत यात्रा 629 से 644 ईसा तक के दौरान लिखी किताब में मिलता है।उसके अनुसार उस समय कांगड़ा पर हर्षवर्धन का शासन था। 1009 ईसा पूर्ब में मोहमद गजनबी लुटेरे ने कांगड़ा पर आक्रमण किया और यह के प्रसिद्ध बर्जेसब्री मंदिर को लूट कर नगरेको को तहसनहस कर दिया। उसके उपरांत 1360 तक सामान्य इतिहास में इस शहर का कोई जिक्र नही मिलता।
अकबर लुटेरा 

डिस्प्ले एड्स 1556 ई.पु. में अकबर ने हिमाचल के पहाड़ी राजाओं को लूटने का अभियान चलाया और कांगड़ा किले पर कब्जा कर लिया। ज्यादा धन की चाह रखने बाले लालची अकबर को यहाँ कुछ नही मिला। कहा जाता है कि उस समय के शासकों ने नगर की अपार धन डॉक्टर को कांगड़ा किले के साथ लगते जंगलो में छुपा दिया था जो आज तक किसी को नही मिली स्की है।  1620 में अकबर के बेटे जहाँगीर चंम्बा के राजा सूरज मल की सहायता से कांगड़ा किले अपने कब्जे में लिया।
कटोच वंश के राजाओं सासन
नगरकोट कांगड़ा किले का निर्माण कटोच वंश के राजाओं के परिवार ने करवाया था, जिसका उलेख प्राचीन त्रिगत  साम्राज्य महाभारत, पुराण में किया गया है के जिसमे कटोच वंश होने का प्रमाण दिया था।
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कांगड़ा पर कटोच के राजाओ ने मुगलों के कमजोर पड़ चुके शासन को अपने नियंत्रण में लिया और लगातार मुगलों से सघर्स कर और मुग़ल शक्ति को खत्म किया। 1789 में महाराज राजा संसार चंद ने अपने पूर्वाजो के प्राचीन किले को मुगलों से अपने अधिकार में लिया। 

कांगड़ा का किला 1828 तक ये कटोचो के अधीन  रहा महाराज संसार चंद की मृत्यु के बाद पटियाला रयासत के महाराज रंजीत सिंह ने इस किले पर कब्ज़ा किया। 1846 यह सीखो के पास रहा  1846 में में सिखों के ब्रिटिश सेना से हारने के उपरांत ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना शासन जमा लिया। लेकिन 4 अप्रैल 1905 में कांगड़ा  एक भीषण भूकम्प आया उस कारण ये सारा किला टूट गया। इसके बाद अग्रेजो ने इस को छोड़ दिया।
कहां पर है ऐतिहासिक किला
यह किला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर की बाहरी सिमा पर ही है। शहर के प्रवेश द्वार पर ही एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित ये किला आज भी सान से हजारों साल के इतिहास को अपने मे सजोये हुए खड़ा है।  कांगड़ा, धर्मशाला से 20 किमी दूर है। 
कैसे पोहुचे कांगड़ा किला
कांगड़ा का अपना हवाई अड्डा है। जहाँ पर आप दिल्ली चंडीगढ़ आदि शहरों से हवाई जहाज से पोहुच सकते है। बस से यात्रा करने के लिए आप दिल्ली चंडीगड़ से कांगड़ा की बस ले जो 24X7 उपलब्ध है।
रेलबे के माध्य्म से
कांगड़ा के लिए कोई बड़ी रेल लाइन नही होने के कारण यहाँ रेल से देश के सभी हिस्सों से नही आया जा सकता।छोटी रेल लाइन जो पठानकोट से जोगिन्दर नगर तक है। के माध्य्म से आप कांगड़ा  से भी जुड़ सकते है।
आस्था स्थल
कांगड़ा के  रेलवे स्टेशन से मात्र 11 किमी और शहर के बीच माता बृजेश्वरी का मंदिर है। मान्यताओं और पौराणिक कथाओ के अनुसार देवी सती का बायां स्तन यहां गिरा था। मां के 51 सक्ति पीठ में से प्रमुख है ये मंदिर। 

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