जानिए गुच्छी मशरूम और इसके औषधीय गुण

गुच्छी भारत के उत्तरी राज्यों हिमाचल और कश्मीर के बर्फ से ढके घने जंगलो, पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इसके उगने का समय सितम्बर से दिसम्बर तक होता है। जब पहाड़ी इलाकों में बारिश और आसमानी बिजली की गड़गड़ाहट होती है,ठीक उसी समय ये पहाड़ो में उगती है।
By hpinfo


यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। आप इसकी कीमत सुन कर हैरान रह जाएंगे, 30 से 40 हजार प्रति किलो। और विदेशों में तो और भी मंहगी बिकने बाली इस मसरूम को छतरी,टटमोर,और गुच्छी के नाम से जाना जाता है। प्राकृतिक रूप से उगने वाले इस मसरूम के औषधीय गुणों के कारण इसकी देस और विदेश के बड़े बड़े होटलों में बहुत मांग है।जहा इसकी लजीज डिस बना कर ग्राहकों को ऊंचे दामों में परोसा जाता है।
गुच्छी के औषधीय
गुच्छी नाम की इस मसरूम की सब्जी खाने से नही होती कभी दिल की बीमारियां। गुच्छी में  विटामिन B और D के अलावा C और K भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसको कहने से इंसान को दिल की बीमारियों से बचा रहता है।इसके औषधीय   गुणों के कारण इसका दवाइयां बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा यह ट्यूमर के बनने से रोकती है, गठिया जैसे रोग में होने वाली सूजन से राहत मिलती है।
गुच्छी के व्यजन
इसके व्यजन बनाने में ड्राय फ्रूट, हरि सब्जियां और शुद्ध देशी घी का इश्तेमाल होता है।यह अब तक कि दुनिया मे सबसे मंहगी और लजीज पकबानों में शामिल है। मंहगे होटलों में इसके एक कप सुप की कीमत 5000 रुपये तक कि होती है।
गुच्छी के उगने का सही समय
बेसे तो गुच्छी फरबरी मार्च महीने में जब बारह पिघलने सुरु होती है उस समय ऊंचे पहाड़ो के घने जंगलों में काफी काफी अंदर जा कर वहुत मुस्किल से ही मिलती है। इसका उगने का समय अनिश्चित है स्थानीय लोगों के अनुसार जब आसमान में तेज गड़गड़ाहट और आसमानी बिजली चमकती है उसी समय गुच्छी प्राकृतिक रूप से उगती है।

हिमालय क्षेत्रो में रहने बाले लोग इसको सजीबनी मानते हैं इसके साल में एक दो बार खाने मात्र से आप सभी प्रकार के रोगों से बच सकते है। यह हिमाचल में कुलू मनाली चम्बा शिमला कश्मीर और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों उगती है

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